दिल्ली, भारत में COVID-19 संकट और असंगठित क्षेत्र: चालू आर्थिक प्रभाव और असमान रिकवरी
दिल्ली में अधिकांश कामगार असंगठित रूप से काम करते हैं और नवीनतम अनुमानों के अनुसार दिल्ली में क़रीब 49.2 लाख असंगठित कामगार हैं. यह रिपोर्ट WIEGO के नेतृत्व में की गई 'कोविड-19 संकट और असंगठित क्षेत्र' स्टडी की दिल्ली शहर में हुई दूसरी दौर की जाँच - परिणामो को प्रस्तुत करती है. यह सर्वे मध्य-2021 में किया गया था ताकि यह आकलन किया जा सके कि कामगार कैसे COVID-19 संकट दोबारा सक्रिय होने और चालू आर्थिक तनाव का अनुभव कर रहे थे, और वे किस हद तक (यदि कोई ) रिकवर कर पाए.
इसके प्रमुख निष्कर्षों में से हैं:
असंगठित कामगारों के लिए कोई रिकवरी नहीं: महामारी और संबंधित सरकारी उपायों से 2021 में असंगठित कामगारों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव कम होने और उलटने के बजाय जारी है और गहरा हो रहा है. औसत काम के दिनों को देखें तो कचरा कामगार, घरेलू कामगारों, घर-खाता कामगारों और फुटपाथ विक्रेताओं के लिए रिकवरी असमान और बिखरी हुई रही है. कामगारों की कमाई सभी क्षेत्रों में पूर्व-कोविड-19 स्तर से नीचे बनी हुई है.
महिला कामगारों पर असमानुपातिक रूप से नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है. आय गिर रही है जबकि कर्ज बढ़ रहा है. कामगार भोजन असुरक्षा का अनुभव कर रहे हैं. लगभग आधे (44%) लोगों ने भोजन सुरक्षा की बात की और बताया कि उनके परिवार को कई वक्त का भोजन छोड़ना पड़ा या भोजन की मात्रा कम करनी पड़ी.
संकट का सामना करने के लिए सरकारी मदद अपर्याप्त रही है. संकट का सामना करने के लिए कामगारों को अपनी स्वयं की बचत और सामाजिक नेटवर्क पर निर्भर रहना पड़ा. ये बिंदु और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इन कामगारों में से अधिकांश प्रवासी हैं.
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